राजगढ़ सादुलपुर के जाने पहचाने पंडित शिवकुमार शास्त्री (जो दैनिक पंचांग भी उपलब्ध करवाते हैं) द्वारा शारदीय नवरात्र आरंभ और घटस्थापना पूजन के सम्बन्ध में मिली जानकारी सभी श्रद्धालुओं के लिए...
आश्विन शुक्ल पक्ष एकम्, गुरुवार दिनांक 03 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। इस दिन घटस्थापना व पूजन आदि के लिए शुभ समय :—
कन्या लग्न व शुभ चौघड़िया प्रातः 06-25 बजे से 07-51 बजे तक,
चर चौघड़िया प्रातः 10-48 से 12-17 बजे तक,
अभिजित् प्रातः 11-53 से 12-40 बजे तक घटस्थापना और पूजा के लिए शुभ समय है।
नवरात्रि 03 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक रहेगी। इस बार नवरात्र में एक दिन की (तृतीया की) वृद्धि हुई है। दुर्गाष्टमी 11 अक्टूबर शुक्रवार को महानवमी 12 अक्टूबर शनिवार को और दशहरा भी इसी दिन 12 अक्टूबर, शनिवार का रहेगा।
इन नवरात्रि का महात्म्य सर्वोपरि इसलिये है कि इसी समय देवताओं ने दैत्यों से परास्त होकर और आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी और उनकी पुकार सुनकर देवी माँ का आविर्भाव हुआ। उनके प्राकट्य से दैत्यों के सँहार करने पर देवी माँ की स्तुति देवताओं ने की थी। उसी पावन स्मृति में शारदीय नवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि का व्रत भगवान् श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिये किया था। उन्होंने पूर्ण विधि-विधान से महाशक्ति की पूजा उपासना की थी। महाभारत काल में पाण्डवों ने श्रीकृष्णजी के परामर्श पर शारदीय नवरात्रि की पावन बेला पर माँ दुर्गा महाशक्ति की उपासना विजय के लिये की थी। तब से तथा उसके पूर्व से शारदीय नवव्रत शक्ति उपासना का क्रम चला आ रहा है। यह नवरात्रि इन्हीं कारणों से बड़ी नवरात्रि, महत्त्वपूर्ण एवं वार्षिकी नवरात्रि के रूप में मनायी जाती है। बंगाल में इसी नवरात्रि को दुर्गा-पूजन का सबसे बड़ा महोत्सव सप्तमी, अष्टमी, नवमी को होता है।
माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है।
मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है। इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर धरती पर आएंगी। ज्योतिष के अनुसार मां दुर्गा का डोली पर सवार होना अशुभ संकेत होता है। यह प्राकृतिक आपदा, महामारी और देश में अस्थिरता का संकेत भी है। अतः सुख शान्ति समृद्धि के लिए नवरात्रि में व्रत, दुर्गा सप्तशती के पाठ, बीज-मन्त्र जप, कवच, दुर्गाद्वात्रिंशन्नाम पाठ आदि पूर्वक शक्ति उपासना करनी चाहिये।
Leave a Reply